अमेरिका में जॉब छोड़ लौटे वतन, सिर्फ ₹40,000 से खड़ा कर दिया ₹17,000 करोड़ का कारोबारी साम्राज्‍य!

नई दिल्‍ली: आज हम आपको ऐसी शख्सीयत से मिलाते हैं जिन्‍होंने अपने कॉरपोरेट करियर के शिखर पर बड़ा फैसला लिया। साल 1995 की बात है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने भारत में इंटरनेट के आगमन की घोषणा की थी। उसी के बाद एचसीएल के साथ अमेरिका

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नई दिल्‍ली: आज हम आपको ऐसी शख्सीयत से मिलाते हैं जिन्‍होंने अपने कॉरपोरेट करियर के शिखर पर बड़ा फैसला लिया। साल 1995 की बात है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने भारत में इंटरनेट के आगमन की घोषणा की थी। उसी के बाद एचसीएल के साथ अमेरिका में काम कर रहे दिनेश अग्रवाल ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। यह आसान निर्णय नहीं था। भारत में इंटरनेट की लहर के बीच अपने अगले लक्ष्य को लेकर उनके पास कोई योजना नहीं थी। हालांक‍ि, इंटरनेट क्रांति का लाभ उठाकर दिनेश अग्रवाल ने इंडियामार्ट की स्थापना की। आज इसका बाजार पूंजीकरण 17,244.01 करोड़ रुपये है।

कानपुर के HBTU से पढ़े

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दिनेश अग्रवाल का जन्म 19 फरवरी 1969 को हुआ था। उन्‍होंने कानपुर में हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की। इसके बाद दिनेश ने कई कंपनियों के साथ काम किया। इससे उनके पास काफी अनुभव आए। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत सीएमसी से की। इसे बाद में टाटा की कंपनी टीसीएस ने खरीद लिया था। सीएमसी में दिनेश ने भारत की पहली रेलवे आरक्षण प्रणाली विकसित की।

सैम पित्रोदा की टीम में हुए शामिल

सैम पित्रोदा की टीम में हुए शामिल

सीएमसी छोड़ने के बाद दिनेश अग्रवाल सैम पित्रोदा की टीम में शामिल हो गए। वहां उन्होंने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स के लिए काम किया। इस दौरान दिनेश ने भारत का पहला डिजिटल टेलीफोन एक्सचेंज बनाने पर काम किया। फिर 1992 में वह प्रमुख टेक कंपनी एचसीएल से जुड़ गए। एचसीएल में काम करते हुए उन्होंने अमेरिका में इंटरनेट की ग्रोथ को देखा। यहीं से उन्हें भारत के लोगों पर इंटरनेट के संभावित प्रभाव का एहसास हुआ। अगस्त 1995 में दिनेश भारत लौट आए। उनके साथ उनकी पत्नी और बच्चे भी थे।

कैसे हुआ इंडियामार्ट का जन्‍म?

कैसे हुआ इंडियामार्ट का जन्‍म?

ऑनलाइन-ऑफलाइन हाइब्रिड मॉडल से प्रभावित होकर इंडियामार्ट कंपनी तेजी से फली-फूली। भारत लौटने के बाद दिनेश को एहसास हुआ कि भारतीय निर्यातकों के लिए एक वेबसाइट बनाई जा सकती है। वह निर्यातकों और आपूर्तिकर्ताओं की एक ऑनलाइन डायरेक्‍टरी बनाना चाहते थे। हालांकि, सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी। बाद में उन्होंने एक फ्री लिस्टिंग फॉर्म बनाया। इसे सभी विक्रेताओं को भेजा। इस तरह अनुमति प्राप्त कर उन्होंने विक्रेताओं की जानकारी सार्वजनिक कर दी। यहीं से IndiaMart का जन्म हुआ। इंडियामार्ट की प्रारंभिक टैगलाइन भी थी - द ग्लोबल गेटवे टू इंडियन मार्केटप्लेस। अग्रवाल ने इस कंपनी की शुरुआत महज 40,000 रुपये के निवेश से की थी।

2008 की मंदी में बदली स्‍ट्रैटेजी

2008 की मंदी में बदली स्‍ट्रैटेजी

आर्थिक संकट ने भारत को B2B का किंग बना दिया। 2007-08 में अमेरिका को बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। मंदी का असर दुनियाभर में महसूस होने लगा। निर्यात का काम भी धीमा हो गया। इस दौरान दिनेश और उनके चचेरे भाई ब्रिजेश ने इंडियामार्ट का फोकस निर्यात से भारत में बी2बी बाजार पर कर दिया। इससे थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेता एक मंच पर आ गए। कारोबार तेजी से बढ़ा। कंपनी ने 2010 में 52 सप्ताह के भीतर 52 ऑफिस खोले। दिनेश अग्रवाल की कुल संपत्ति की बात करें तो यह 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है। ट्रेंडलाइन के मुताबिक, 31 मार्च 2024 तक दिनेश अग्रवाल की 9 कंपनियों में हिस्सेदारी है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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